मार्च खत्म और अप्रैल शुरू, इसी के साथ शुरू हो गई इनकम टैक्स को लेकर भागदौड़. सीए के साथ बैठकर टैक्स बचाने की जुगत भी शुरू हो गई है. कोई नए रिजीम में पैसे बचाने की गणना कर रहा है तो कोई पुराना रिजीम लगाकर होम लोन, 80सी के निवेश सहित बीमा और बाजार से मिले पैसों पर टैक्स बचाने की कैलकुलेशन में लगा है. लेकिन, इन सभी आपाधापी और माथापच्ची के बीच आप एक जरूरी तारीख या यूं कहें कि डेडलाइन मत भूल जाना. अगर इस सीमा को पार कर गए तो फिर किसी भी इनकम टैक्स की छूट नहीं मिलेगी. भले ही आप होम लोन का ब्याज चुका रहे हों या फिर एफडी के ब्याज से कमाई कर रहे हों.
दरअसल, हम बात कर रहे हैं वित्तवर्ष 2023-24 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न (ITR Filling) की, जिसकी डेडलाइन पहले ही आयकर विभाग ने 31 जुलाई, 2024 तय कर दी है. अगर आप इस डेडलाइन से पहले अपना आईटीआर भरते हैं तब तो आपको पुराना रिजीम चुनने का मौका दिया जाएगा. तय डेडलाइन पार करने के बाद टैक्सपेयर्स को पुराने रिजीम को चुनने का विकल्प नहीं दिया जाएगा.
क्या है ओल्ड और न्यू रिजीम
सरकार ने 2019 में न्यू टैक्स रिजीम लागू किया था, जिसमें इनकम टैक्स स्लैब की दरें तो कम होती हैं, लेकिन इसमें किसी भी तरह की टैक्स छूट नहीं दी जाती है. सरकार ने 70 तरह की टैक्स छूट को खत्म करके ही नया रिजीम लागू किया था. वहीं, पुराने रिजीम में स्लैब की दर भले ही ज्यादा है, लेकिन इसमें होम लोन के ब्याज और मूलधन पर 3.50 लाख, 80सी के तहत 1.5 लाख और बीमा पर 75 हजार रुपये की सीधी टैक्स छूट मिलती है. इसके अलावा अन्य विकल्पों पर भी आपको टैक्स छूट मिल जाती है.
क्यों चुनना पड़ता है रिजीम
सरकार ने 2023 के बजट से नए टैक्स रिजीम को बाई डिफॉल्ट लागू कर दिया है. इसका मतलब है कि निवेशक अगर कोई भी रिजीम नहीं चुनता है तो उसकी कमाई का आकलन नए रिजीम के तहत किया जाएगा और इसकी दर के हिसाब से टैक्स काट लिया जाएगा. इसका मतलब हुआ कि अगर आपको लोन, निवेश या अन्य तरह के अलाउंस पर टैक्स छूट लेनी है तो खुद से पुराने टैक्स रिजीम का चुनाव करना पड़ेगा. इसके लिए 31 जुलाई से पहले रिटर्न भरना जरूरी है.
अगर कोई करदाता 31 जुलाई तक अपना रिटर्न नहीं भरता है तो 1 अगस्त 2024 से 31 दिसंबर 2024 तक ऐसे टैक्सपेयर्स को बिलेटेड ITR दाखिल करने का मौका दिया जाएगा. यानी ऐसे करदाता कुछ पेनाल्टी का भुगतान करके अपना रिटर्न तो भर सकेंगे, लेकिन उन्हें पुराने टैक्स रिजीम का इस्तेमाल करने की छूट नहीं दी जाएगी. ऐसे में उनकी कमाई से सीधे तौर पर नया रिजीम लगाकर उसी दर के हिसाब से टैक्स काट लिया जाएगा.