वर्तमान समय में कोई भी काम करना हो, उसके लिए लोन की जरूरत तो पड़ ही जाती है. इसलिए बैंक कई तरह के लोन ऑफर करते हैं, जिसमें पर्सनल लोन से लेकर होम लोन और बिजनेस लोन तक शामिल हैं. परंतु, बैंक यूं ही किसी को भी लोन नहीं दे देते. जरूरी है कि लोन की अर्जी (ऐप्लीकेशन) लगाने वाले का क्रेडिट स्कोर (Credit Score) अच्छा हो. क्रेडिट अच्छा होने के बावजूद कभी-कभार बैंक लोन की ऐप्लीकेशन रिजेक्ट कर देते हैं. ऐसे में लोग समझ नहीं पाते कि बैंक ने ऐसा क्यों किया. चलिए बताते हैं कि क्रेडिट अच्छा होने पर भी किन स्थितियों में बैंक लोन ऐप्लीकेशन रिजेक्ट हो सकती है.
अच्छा क्रेडिट और सिबिल स्कोर होने की सूरत में लोन मिलने में ज्यादा परेशानी नहीं होती. ऐसा हो तो लोन आसानी से मिल सकता है. हालांकि लोन देने वाली संस्थाएं केवल क्रेडिट स्कोर को ही ध्यान में नहीं रखतीं. क्रेडिट स्कोर अच्छा होने का मतलब है लोन की अर्जी ने एक कदम पार कर लिया है. इसके बाद भी कई और चेक-पॉइन्ट्स बैंक की नजर में होते हैं. सबको एक साथ इवेलुएट करने के बाद ही बैंक अपने अंतिम निर्णय तक पहुंचता है कि लोन देना है या नहीं.
डेट टू इनकम रेश्यो (DTI)
बजाज फिनसर्व के मुताबिक, यह एक रेश्यो है, जो बताता है कि लोन लेने वाला शख्स की लोन वापस करने की क्षमता कितनी है. यह रेश्यो व्यक्ति की सकल मासिक आय (Gross monthly income) के आधार पर निकाला जाता है. साधारण शब्दों में कहें तो DTI व्यक्ति द्वारा चुकाए जा रहे सभी कर्ज की पेमेंट्स को मंथली इनकम से भाग (Divide) करने के बाद जो प्रतिशत मिलता है, उसी को डेट टू इनकम रेश्यो कहा जाता है. कोई भी बैंक लोन देने से पहले यह जरूर देखता है.