मंगलवार, 4 जून को लोकसभा चुनाव के परिणाम आने वाले हैं. उम्मीद जताई जा रही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लगातार तीसरी बार एनडीए सरकार की वापसी होने जा रही है. इसके साथ ही अटकलें लगनी शुरू हो गई हैं कि नई सरकार सबसे पहले कौन-कौन से काम करने जा रही है. विशेषज्ञों का दावा है कि सरकार बनते ही फसलों की एमएसपी पर फैसला लिया जा सकता है.
खरीफ फसलों पर 8 फीसदी तक हो सकता है इजाफा
चूंकि खरीफ के सीजन की बुवाई नजदीक आ चुकी है. ऐसे में सरकार पहला कदम इन्हीं फसलों के मिनिमम सपोर्ट प्राइस (MSP) के ऐलान का होगा. सूत्रों के हवाले से मिंट की रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार पहली कैबिनेट बैठक में ही खरीफ फसलों के लिए एमएसपी का ऐलान कर सकती है. खरीफ सीजन की बुवाई जून से शुरू होकर जुलाई तक चलती है. इन फसलों की कटाई अक्टूबर में हो जाती है. इस सीजन में दाल और तिलहन का उत्पादन होता है. इन फसलों पर एमएसपी 8 फीसदी तक बढ़ाई जा सकती है.
हर साल जून के दूसरे हफ्ते में होती है बैठक
हर साल जून के दूसरे हफ्ते में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली कैबिनेट कमेटी ऑन इकोनॉमिक अफेयर्स एमएसपी पर फैसला लेती है. इसके चलते बुवाई के सीजन पर अच्छा-खासा फर्क पड़ता है. यही वजह है कि समय से एमएसपी का ऐलान बेहद अहम माना जाता है. पिछले 2 साल से कम बरसात के चलते खरीफ सीजन की बुवाई में कमी आई है. इसके चलते चावल और दालों का उत्पादन घटा है. इस साल सरकार एमएसपी में अच्छा इजाफा कर किसानों को ज्यादा से ज्यादा मात्रा में उत्पादन करने को प्रोत्साहित करना चाहेगी.
अफ्रीका और म्यांमार से मंगानी पड़ रहीं दालें
खरीफ सीजन में चावल, मक्का, तिल, तूर, मूंग, उड़द, मूंगफली, सनफ्लॉवर, सोयाबीन, ज्वार, बाजरा और रागी जैसी फसलों का उत्पादन होता है. यदि इनका उत्पादन बढ़ता है तो सरकार का आयात कम होगा. भारत को बड़ी मात्रा में दालें इंपोर्ट करनी पड़ रही हैं. भारत को अफ्रीका और म्यांमार से दालें मंगानी पड़ती हैं. साल 2023 में मूंग पर एमएसपी 8,558 रुपये प्रति क्विंटल, तिल पर 8,635 रुपये प्रति क्विंटल, बाजरा 2500 रुपये और मक्का पर 2,090 रुपये प्रति क्विंटल कर दी गई थी.