Home Uncategorized लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह बोले- हमने...

लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह बोले- हमने पाकिस्तान से सीजफायर दबाव में नहीं किया

नई दिल्ली। संसद के मानसून सत्र का आज छठवां दिन है। ऑपरेशन सिंदूर पर लोकसभा में 16 घंटे की मैराथन चर्चा शुरू हो गई है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बहस की शुरुआत की है। लोकसभा में बहस के लिए 16 घंटे का समय निर्धारित किया गया है। हालांकि विपक्ष के SIR मुद्दे पर हंगामे के चलते लोकसभा के सभापति ओम बिरला को सदन को 2 बार स्थगित करना पड़ा था।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर को लेकर हो रही बहस के दौरान उसकी सफलता की बात पर जोर दिया। बहस की शुरुआत में रक्षा मंत्री ने कहा कि सबसे पहले मैं इस सदन के माध्यम से, देश के उन वीर सपूतों को, उन बहादुर सैनिकों को नमन करता हूं, जो इस राष्ट्र की सीमाओं की रक्षा के लिए सदैव तैयार और तत्पर रहते हैं। साथ ही, मैं उन सैनिकों की स्मृति को भी नमन करता हूं, जिन्होंने भारत की एकता और अखण्डता सुनिश्चित करने के लिए अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया। मैं पूरे देश की तरफ से सेनाओं के सभी जवानों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करता हूं।

इस दौरान उन्होंने कहा कि हमने आतंकियों को उनके घर में घुसकर मारा। सेना ने आतंकियों से हमारी माताओं-बहनों के सिंदूर का बदला लिया। हमारा मकसद आतंकी ठिकाने तबाह करना था और सेनाओं ने अपना लक्ष्य हासिल किया। हमने पाकिस्तान से सीजफायर दबाव में नहीं किया। उन्होंने कहा, कि यह सिंदूर की लाली शौर्य की कहानी है। इस कार्रवाई में 100 से अधिक आतंकी और हैंडलर मारे गए। हमने पूरा ऑपरेशन 22 मिनट में पूरा कर लिया।

रक्षा मंत्री ने कहा कि 10 मई की सुबह भारतीय एयरफोर्स ने पाकिस्तान के एयरबेस पर पर करारे हमले किए तो उन्होंने हार मान ली। पाकिस्तान की तरफ से कहा गया कि बस बहुत हुआ, हमले रोक दीजिए। पाकिस्तान की ये पेशकश इस कैवियट के साथ स्वीकार की गई कि ऑपरेशन स्थगित नहीं किया गया, सिर्फ रोका गया है। अगर पाकिस्तान की तरफ से कुछ भी शुरू किया, तो ऑपेरशन दोबारा शुरू किया जा सकता है। 12 मई को दोनों देशों के DGMO के बीच बातचीत हुई और संघर्ष रोकने पर सहमति बनी।

रक्षा मंत्री ने कहा कि मैं करीब 40 साल से राजनीति में हूं। मैंने दलगत राजनीति को शत्रुतापूर्ण नजरिए से नहीं देखा। मैं विपक्ष से कहना चाहता हूं कि हम आज सत्ता में हैं तो हमेशा नहीं रहेंगे। कभी जनता ने हमें विपक्ष में रहने का दायित्व सौंपा था तो हमने इसे निभाया भी है।

चीन के साथ युद्ध में दुखद परिणाम आया तो हमने पूछा कि दूसरे देश का हमारी जमीन पर कब्जा क्यों हुआ? हमारे सैनिक क्यों मारे गए? तब हमने मशीनों की चिंता न करके टेरिटरी की चिंता की। तब हमने सैन्य और राजनीतिक नेतृत्व की प्रशंसा की। अटल जी ने तब संसद में खड़े होकर नेतृत्व की प्रशंसा की थी। तब हमने ये नहीं पूछा कि भारत के कितने इक्विपमेंट्स नष्ट हुए।

राजनाथ सिंह ने कहा कि चाहे लालबहादुर शास्त्री हों, चाहे अटल बिहारी वाजपेयी हों, मनमोहन सिंह हों या नरेंद्र मोदी, सभी ने भारत के लिए चिंता की। हमारे शांति के प्रयासों को गलत समझ लिया गया। जब शांति की राह पर थे, वे दुश्मनी की राह पर थे। उन्होंने परमाणु हमले की धमकी दे डाली थी। अटल जी ने कहा था- पाकिस्तान के परमाणु हमले से हमारा तो कुछ नहीं बिगड़ेगा, लेकिन पाकिस्तान दूसरे दिन का सूरज नहीं देख पाएगा।

राजनाथ सिंह ने कहा कि 2015 में मोदी जी ने पाकिस्तान जाकर दोस्ती की बात की। हमारी मूल प्रकृति बुद्ध की है, युद्ध की नहीं। अब हमारी सरकार की स्टैंड का एकदम साफ है कि टेररिज्म और बातचीत साथ नहीं चल सकते। एक ऐसा देश जहां लोकतंत्र का कतरा भी नहीं है, वहां धार्मिक उन्माद है, जहां गोलियों की आवाजें गूंजती हैं, उनके साथ बातचीत नहीं हो सकती। उनकी आतंकवाद की नर्सरी है। पाकिस्तान सरकार आतंकियों के लिए स्टेट फ्यूनरल का इंतजाम करती है।

पाकिस्तान की सेना और आईएसआई प्रॉक्सी वॉर करती है। ये मोदी जी के नेतृत्व वाला भारत है जो किसी भी हद तक जा सकता है। हम शांति के प्रयास करना जानते हैं तो अशांति फैलाने के लिए हाथ उखाड़ना भी जानते हैं। हमने भगवान कृष्ण से सीखा है कि धर्म की रक्षा के लिए सुदर्शन चक्र उठाना पड़ता है। अब हमने सुदर्शन चक्र उठा लिया है। भगवान कृष्ण हमें धैर्य और शौर्य दोनों सिखाते हैं।

उन्होंने कहा कि हमारी नीति स्पष्ट है। हमने लाहौर बस यात्रा की थी, लेकिन पाकिस्तान इस भाषा को नहीं समझा, अब हमने उन्हें बालाकोट स्ट्राइक की भाषा समझाई। जब हमने तीनों सेनाध्यक्षों से पाकिस्तान पर कार्रवाई के पूछा तो उन्होंने हां बोलने में क्षणभर की देर नहीं लगाई। आतंकवाद को हर रूप में समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।