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छत्तीसगढ़ में बाल विवाह रोकने विशेष अभियान

अक्षय तृतीया पर विशेष सतर्कता

रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य को बाल विवाह से मुक्त करने के संकल्प के तहत अभियान को और अधिक प्रभावी बनाया है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में 10 मार्च 2024 को “बाल विवाह मुक्त छत्तीसगढ़” अभियान की शुरुआत की गई थी, जिसका लक्ष्य वर्ष 2028-29 तक राज्य को पूरी तरह से बाल विवाह मुक्त बनाना है।

महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े के मार्गदर्शन में, विभागीय सचिव श्रीमती शम्मी आबिदी द्वारा सभी जिलों और विभागों को अभियान की रणनीति और विस्तृत दिशा-निर्देश प्रेषित किए गए हैं। बाल विवाह को न केवल सामाजिक अभिशाप, बल्कि एक गंभीर कानूनी अपराध भी माना गया है। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के तहत, 21 वर्ष से कम आयु के पुरुष एवं 18 वर्ष से कम आयु की बालिका के विवाह को दंडनीय अपराध घोषित किया गया है, जिसमें दो वर्ष तक की सजा अथवा एक लाख रुपये तक का जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।

अक्षय तृतीया, जो इस वर्ष 30 अप्रैल को मनाई जाएगी, के अवसर पर विवाह आयोजनों में बाल विवाह की संभावना को देखते हुए राज्य शासन ने विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं। शासन ने सभी संबंधित विभागों, पंचायत प्रतिनिधियों और समाज के प्रतिष्ठित व्यक्तियों से सहयोग की अपील की है। यदि किसी को बाल विवाह की सूचना मिले तो तत्काल बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी, जिला बाल संरक्षण अधिकारी, नजदीकी थाना प्रभारी, चाइल्ड हेल्पलाइन 1098, महिला हेल्पलाइन 181 या आपातकालीन सेवा ERSS 112 पर जानकारी देने का अनुरोध किया गया है।

प्रशासनिक तैयारियाँ और सख्त निर्देश

सचिव महिला एवं बाल विकास विभाग श्रीमती शम्मी आबिदी ने बाल विवाह रोकने के लिए सभी कलेक्टरों, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों, जिला एवं जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों और विभागीय अधिकारियों को विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं। निर्देशों में कहा गया है कि विवाह समारोहों में कानून का उल्लंघन करने पर वर-वधु के अभिभावक, सगे-संबंधी, बाराती और विवाह संपन्न कराने वाले पुरोहितों पर भी कानूनी कार्यवाही की जाएगी।

इसके अलावा, ग्राम स्तर पर कोटवार, पटवारी, शिक्षक, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और अन्य शासकीय अमले से भी सहयोग लेने का निर्देश दिया गया है। प्रत्येक ग्राम पंचायत में विवाह पंजी संधारित कर सभी विवाहों को पंजीबद्ध करने तथा राजस्व विभाग के समन्वय से शत-प्रतिशत विवाह पंजीयन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।

राज्य भर में CMPO की नियुक्ति

राज्य शासन द्वारा बाल विवाह की रोकथाम के लिए ग्राम पंचायत सचिवों, सेक्टर पर्यवेक्षकों, बाल विकास परियोजना अधिकारियों एवं जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारियों को बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी (CMPO) नियुक्त किया गया है। कुल 13,794 अधिकारी/कर्मचारी इस कार्य के लिए अधिसूचित किए गए हैं। प्रत्येक ग्राम पंचायत एवं नगरीय निकाय को बाल विवाह मुक्त घोषित कर प्रमाण पत्र जारी करने की भी योजना बनाई गई है।

जन-जागरूकता अभियान

सरकार द्वारा बाल विवाह के खिलाफ व्यापक जन-जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है। गांवों में मुनादी, दीवार लेखन, पाम्पलेट वितरण, रैली, वाद-विवाद और निबंध प्रतियोगिताओं के माध्यम से समाज को जागरूक किया जा रहा है।

अभियान की अब तक की उपलब्धि यह है कि वर्ष 2025 में विभिन्न प्रयासों से अब तक 337 बाल विवाह रोके जा चुके हैं। सरकार का उद्देश्य है कि सामाजिक और प्रशासनिक साझेदारी से छत्तीसगढ़ को बाल विवाह मुक्त बनाकर एक सशक्त और सुरक्षित भविष्य की ओर बढ़ाया जाए।