रायपुर। साय सरकार ने बड़ी प्रशासनिक सर्जरी करते हुए शनिवार को 41 आईएएस अफसरों का तबादला कर दिया. तबादले के पहले सरकार अफसरों का परफॉर्मेंस आडिट कर रही थी. तबादले का आधार अफसरों का परफॉर्मेंस है. साय सरकार ने इस तबादले से बड़ा संदेश देने की कोशिश की है. इस संदेश में राज्य में प्रशासनिक कसावट लाना सबसे मुख्य उद्देश्य रहा है. सरकार ने तबादले में परिणाम देने वाले अफसरों को तवज्जो दिया है. सरकार ने अपने आडिट में यह पाया था कि राजस्व से जुड़े प्रकरणों को लेकर आम जनता में गहरी नाराजगी है, लिहाजा लंबे समय से चली आ रही शिकायतों के त्वरित निराकरण के लिए दो अतिरिक्त कमिश्नरों की नियुक्ति की है. राजस्व मंडल को दुरुस्त किए जाने की पहल इस तबादला सूची में दिखाई पड़ रही है. साय सरकार सुशासन की सरकार चला रही है। इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इस सब से यही साफ होता है कि तबादले कार्य को गति प्रदान करने व राज्य की व्यवस्था सूचारू रूप से चले इसिलए जरूरी है।
सुबोध सिंह के नियंत्रण से कामकाज में सुधार आया
सबसे पहले मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने अपने सचिवालय को मजबूती दी थी. दिल्ली से आए सुबोध सिंह को प्रमुख सचिव और वित्त विभाग संभाल रहे मुकेश बंसल सचिव बनाए गए. इससे पहले तक मुख्यमंत्री सचिवालय में राहुल भगत, पी दयानंद और बसव राजू बतौर सचिव काम कर रहे थे. सुबोध सिंह और मुकेश बंसल की नियुक्ति ने मुख्यमंत्री सचिवालय को मजबूती दी गई. सचिवालय में सचिवों के बीच वर्क डिस्ट्रीब्यूशन किया गया था. राज्य में प्रशासनिक कसावट लाने के लिहाज से यह मुख्यमंत्री की पहली कवायद थी. सुबोध सिंह ने प्रशासनिक नियंत्रण अपने हाथ में लेते हुए सबसे पहले कामकाज में सुधार लाने की पहल की. इस पहल का असर दिखा. मंत्रालय से लेकर जिलों तक कामकाज की स्थिति बेहतर हुई. कहा जा रहा है कि आईएएस अफसरों का तबादला आदेश जारी करने के पीछे मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव सुबोध सिंह की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका रही. एक-एक अफसर का काम का आकलन कर उन्होंने अपनी टीप दी थी. इसके बाद ही मुख्यमंत्री ने अफसरों के तबादले को अनुमोदित किया था. 41 आईएएस अफसरों के तबादला सूची को जारी करने में साय सरकार ने पर्याप्त समय लिया है. यह िनर्णय सुशासन को और मजबूत करने में कारगर साबित होगा।
परफॉर्मेंस रिपोर्ट के बाद आदेश…
परफॉर्मेंस आडिट रिपोर्ट मिलने के बाद सरकार ने तबादला आदेश जारी करने में इस बात का विशेष ध्यान रखा है कि फील्ड पर परफॉर्म न कर पाने वाले अफसरों को लूप लाइन में भेज दिया है. सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अच्छी पोस्टिंग का आधार सिर्फ और सिर्फ परफॉर्मेंस ही होगा. फील्ड पर तैनात कुछ अफसरों के खिलाफ सरकार को लगातार शिकायतें मिल रही थी. फौरी तौर पर आने वाली शिकायतों की सरकार ने गोपनीय जांच कराई. इस जांच के बाद मिले फीडबैक के आधार पर उन अफसरों को लूप लाइन में भेजने का निर्णय किया. राज्य के सीमावर्ती इलाकों के दो जिलों के कलेक्टर इसका शिकार हुए और उन्हें हटाकर सरकार ने परफॉर्म करने वाले अफसर की तैनाती की है. सरकार ने ऐसा करते हुए यह संदेश दिया है कि कार्यकुशलता, जनता के कार्यों को तरजीह, ईमानदारी और समर्पण से कार्य करने वालों को प्रोत्साहित किया जाता रहेगा. लापरवाह और जनकल्याणकारी कार्यों में देरी करने वाले अफसरों को इसका खामियाजा भुगतना होगा. साय सरकार ने प्रमोटी आईएएस अफसरों पर भरोसा जताते हुए महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपी है. सरकार का मानना है कि डायरेक्टर आईएएस और प्रमोटी आईएएस के बीच समन्वय बनाते हुए तैनाती की जानी चाहिए. प्रमोटी आईएएस ग्रास रुट वर्किंग मे एक्सपर्ट होते हैं, लिहाजा सरकार उनके अनुभवों का लाभ प्रशासनिक कामकाज में बेहतर ढंग से करना चाहती है।