आम चुनाव के नतीजों को लेकर अनिश्चितता और चीन के बाजारों के बेहतर प्रदर्शन के कारण विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने मई में भारतीय शेयरों से 25,586 करोड़ रुपये की भारी निकासी की है. यह मॉरीशस के साथ भारत की कर संधि में बदलाव और अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल में निरंतर वृद्धि की चिंताओं के कारण अप्रैल के 8,700 करोड़ रुपये से अधिक के शुद्ध निकासी के आंकड़े से कहीं अधिक है.
डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, इससे पहले एफपीआई ने मार्च में शेयरों में 35,098 करोड़ रुपये और फरवरी में 1,539 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया था. वहीं जनवरी में उन्होंने शेयरों से 25,743 करोड़ रुपये की निकासी की थी. आम चुनाव के नतीजे चार जून को आने हैं। इससे निकट भविष्य में भारतीय बाजार में एफपीआई प्रवाह की दिशा तय होगी.
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार विजयकुमार ने कहा कि मध्यम अवधि में अमेरिकी ब्याज दरें एफपीआई प्रवाह पर अधिक प्रभाव डालेंगी. आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने मई में शेयरों से शुद्ध रूप से 25,586 करोड़ रुपये निकाले हैं.
वॉटरफील्ड एडवाइजर्स के निदेशक-सूचीबद्ध निवेश विपुल भोवर ने कहा, “अपेक्षाकृत ऊंचे मूल्यांकन और विशेष रूप से वित्तीय और आईटी कंपनियों के कमजोर तिमाही नतीजों के साथ राजनीतिक अनिश्चिता की वजह से एफपीआई भारतीय शेयरों से निकासी कर रहे हैं. इसके अलावा चीन के बाजारों के प्रति एफपीआई के आकर्षण की वजह से भी एफपीआई भारतीय शेयरों से पैसा निकाल रहे हैं.”
विजयकुमार ने कहा, ‘‘एफपीआई की बिकवाली का मुख्य कारण चीन के शेयरों का बेहतर प्रदर्शन रहा है. हैंग सेंग सूचकांक मई की पहले पखवाड़े में आठ प्रतिशत चढ़ा है.’’ उन्होंने कहा कि एफपीआई की बिकवाली की एक और वजह अमेरिका में बॉन्ड प्रतिफल का बढ़ना है. जब भी अमेरिका में 10 साल के बॉन्ड पर प्रतिफल 4.5 प्रतिशत से ऊपर जाता है, एफपीआई भारत जैसे उभरते बाजारों में बिकवाली करते हैं और अपना निवेश बॉन्ड में लगाते हैं.
मुद्रास्फीति के प्रबंधन के दायरे में रहने और राजनीतिक स्थिरता की स्थिति में एफपीआई आगे लिवाली कर सकते हैं. शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, बीते वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था 7.8 प्रतिशत की दर से बढ़ी है, जो 6.7 प्रतिशत के अनुमान से कहीं अधिक है. पूरे वित्त वर्ष 2023-24 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 8.2 प्रतिशत रही है. इसके अलावा भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के 2.1 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड लाभांश ने सरकार को बुनियादी ढांचा खर्च को आगे बढ़ाने को लेकर वित्तीय गुंजाइश प्रदान की है.
समीक्षाधीन अवधि में एफपीआई ने ऋण या बॉन्ड बाजार में 8,761 करोड़ रुपये डाले हैं. इससे पहले विदेशी निवेशकों ने मार्च में बॉन्ड बाजार में 13,602 करोड़ रुपये, फरवरी में 22,419 करोड़ रुपये और जनवरी में 19,836 करोड़ रुपये का निवेश किया था. कुल मिलाकर 2024 में एफपीआई अबतक शेयरों से 23,364 करोड़ रुपये निकाल चुके हैं. इस दौरान उन्होंने बॉन्ड बाजार में 53,669 करोड़ रुपये डाले हैं.