इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) फाइल करने के बाद कई तरह के नोटिस आयकरदाता को मिल सकते हैं. जाहिर है ये कि अलग-अलग नोटिस भिन्न कारणों से भेजे जाते होंगे. इन्हीं में से एक नोटिस होता है सेक्शन 156 का डिमांड नोटिस. यह आयकर अधिनियम की धारा 156 के तहत भेजा जाता है. यह नोटिस तब भेजा जाता है जब आयकरदाता की कोई देनदारी बाकी हो. इसमें आपको एक तय तिथि भी बताई जाती है. उस डेट तक आयकरदाता को बकाया चुकाना होता है.
जब आपको सेक्शन 156 का नोटिस मिलता है तो आपको उसे ठीक से रिव्यू करना चाहिए. आपको देखना चाहिए कि यह डिमांड किस वित्त वर्ष के लिए आई है, कितना अमाउंट बकाया है और वह नोटिस क्यों भेजा गया है. यह सुनिश्चित करें कि नोटिस वाकई आयकर विभाग से ही आया है.
मिलेगा 30 दिन का समय
बकाए का भुगतान करने के लिए आयकरदाता को 30 दिन का समय मिलेगा. कुछ लीगल वेबसाइट्स के अनुसार, यह समय 30 से कम भी किया जा सकता है. हालांकि, इसके लिए आयकर अधिकरी को जॉइंट कमिश्नर से अनुमति लेनी होगी. उसे यह दिखाना होगा कि बकाए के भुगतान के लिए 30 दिन का समय देना काफी नुकसानदेह हो सकता है.
नहीं चुकाने पर क्या होगा?
अगर आयकरदाता बकाए का भुगतान नहीं करता है तो उस पर पेनल्टी लगाई जा सकती है. जितना बकाया है उसका प्रतिशत प्रति माह की पेनल्टी लगाई जा सकती है. अगर आयकर अधिकारी टाइम पीरियड एक्सटेंड कर भी देता है तब भी आयकरदाता को यह पेनल्टी चुकानी ही होती है. यह पेनल्टी अधिकतम उतनी जा सकती है जितना बकाया है.
कैसे जवाब दें
आप टैक्स डिमांड वाले फॉर्म में 4 में से कोई एक विकल्प चुन सकते हैं. ये 4 विकल्प इस प्रकार हैं- मांग सही है, मांग आंशिक तौर पर सही है, मांग से सहमत नहीं और मांग सही नहीं है लेकिन समझौते के लिए तैयार हैं. इसके बाद इनमें से जो भी विकल्प आप चुनते हैं उसी के अनुसार आगे बढ़ते हुए फॉर्म भरना होता है.
कैसे जवाब दें
आप टैक्स डिमांड वाले फॉर्म में 4 में से कोई एक विकल्प चुन सकते हैं. ये 4 विकल्प इस प्रकार हैं- मांग सही है, मांग आंशिक तौर पर सही है, मांग से सहमत नहीं और मांग सही नहीं है लेकिन समझौते के लिए तैयार हैं. इसके बाद इनमें से जो भी विकल्प आप चुनते हैं उसी के अनुसार आगे बढ़ते हुए फॉर्म भरना होता है.