जल्द ही वाहन चालकों को टोल चुकाने के लिए टोल प्लाजा में रुकने से जरूरत नहीं होगी. जीपीएस आधारित आटोमेटिक टोल प्रणाली लागू हो जाएगी. जिससे बगैर रुके टोल कटेगा. आम लोगों के मन में ये सवाल जरूर उठ रहे होंगे कि नए वाहनों पर कोई डिवाइस लगकर आएगी क्या, पुराने वाहन चालकों को डिवाइस लगवानी होगी क्या, इसे कौन लगवाएगा, सरकार या स्वंय, कितने का आएगा, इस तरह के तमाम सवालों के जवाब इंफ्रास्ट्रक्चर एक्सपर्ट दे रहे हैं, आइए जानें.
इंफ्रास्ट्रक्चर एक्सपर्ट वैभव डांगे ने बताया कि आटोमेटिक टोल प्रणाली का सफल पायलट प्रोजेक्ट दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर हो चुका है. इसके लिए पूरे नेशनल हाईवे की जिओ फेंसिंग कराई जाएगी. इसके साथ ही वाहनों में एक छोटा सा ऑन बोर्ड डिवाइस लगाया जाएगा. जो सेटेलाइट के जरिए कनेक्ट रहेगा.
नए वाहनों में यह डिवाइस लगकर आ सकता है, यह सरकार की पोलिसी से तय होगा और पुराने वाहनों में लगवाना पड़ सकता है. उन्होंने बताया कि इसकी कीमत 300-400 रुपये से अधिक होने की संभावना नहीं है. उनका मानना है कि सरकार इस ऑन बोर्ड डिवाइस को फास्टैग की तरह फ्री भी दे सकती है. क्योंकि डिवाइस के लगने के बाद तीन वर्ष में टोल टैक्स कलेक्शन दोगुना तक पहुंच सकता है.
देशभर में मौजूदा समय करीब 1.5 लाख किमी. लंबा हाईवे है. इसमें करीब 90 हजार किमी.नेशनल हाईवे के पास है. इसी हार्हवे में आटोमेटिक टोल प्रणाली लागू करने की तैयारी है. क्योंकि 90 हजार किमी. में हाईवे में करीब 25 हजार में टोल नहीं लगता है. डिवाइस लगने के बाद पूरे हाईवे से टोल वसूला जा सकेगा. इससे राजस्व की बढ़ोत्तरी होगी.
उनका कहना है कि सेटेलाइट आधरित टोल प्रणाली लागू होने के बाद लोगों के पास भुगतान करने के कई विकल्प होंगे. जैसे अभी फास्टैग पेटीएम या बैंक अकाउंट से लिंक है. उसी तरह नई प्रणाली लागू होने के बाद लोगों के पास भुगतान के कई विकल्प होंगे, वे चाहें तो बैंक अकाउंट से या अन्य डिजीटल माध्यम से भुगतान कर सकेंगे.