संगठित क्षेत्र में काम कर रहे नौकरीपेशा लोगों का पीएफ कटता है. हर महीने PF खाते में कर्मचारी की बेसिक सैलरी + डीए का 12 फ़ीसदी जमा होता है. एम्प्लॉयर का योगदान भी इतना ही होता है. इसमें से 8.33% राशि कर्मचारी के पेंशन फ़ंड (EPS Fund) में जाती है और बाकी 3.67% की राशि ही PF खाते में जाती है. 58 साल की उम्र के पूरी होने के बाद कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) अपने अंशधारकों को पेंशन उपलब्ध कराता है. कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) का फायदा उठाने के लिए कम से कम 10 साल नौकरी करना अनिवार्य है. अब बड़ा सवाल यह है कि अगर कोई कर्मचारी बीच में कुछ दिनों के लिए नौकरी से ब्रेक ले लेते हैं और फिर दोबारा नौकरी शुरू करते हैं तो उनकी सेवा की अवधि को कैसे गिना जाएगा?
नौकरी के बीच में गैप आने के कई कारण हो सकते हैं. किसी व्यक्ति ने 4 सालों तक नौकरी की, लेकिन उसकी जॉब चली गई. नई नौकरी मिलने में 2 साल लग गए. इसी तरह कई बार महिला कर्मचारी बच्चों के पालन-पोषण के लिए भी कुछ साल जॉब छोड़ देती हैं. फिर वे नई नौकरी ज्वॉइन करती है. ऐसे में पेंशन के लिए अनिवार्य 10 साल की अवधि की गणना नई नौकरी के साथ नए सिरे से की जाएगी या उसके गैप पर ध्यान न देकर पिछली नौकरी की अवधि में नई नौकरी को जोड़कर जॉब के वर्षों को गिना जाएगा? ये वो सवाल है, जिसका जवाब हर कर्मचारी पाना चाहता है.
ऐसे काउंट होंगे नौकरी के दिन
एक संस्थान छोड़ने के बाद अगर नई नौकरी मिलने में लंबा गैप आ जाए, तो परेशान होने की जरूरत नहीं. ऐसे में दोबारा कहीं नौकरी शुरू करें करने पर अगर कर्मचारी अपना यूएएन नंबर वही रखता है जो पिछली कंपनी में था तो नौकरी बदलने पर नई कंपनी की ओर से भी उसी पीएफ अकाउंट में पैसा ट्रांसफर कर किया जाएगा. साथ ही कर्मचारी की पहले वाली नौकरी की कुल अवधि (Service Period) नई नौकरी के साथ जुड़ जाएगी. ऐसे में उसे दोबारा नौकरी के 10 साल पूरे करने की जरूरत पेंशन के लिए नहीं होगी.