3 जनवरी की देर रात छत्तीसगढ़ सरकार ने 88 अफसरों का प्रशासनिक तबादला किया था। इस तबादले के साथ ही नई सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अफसर निष्पक्ष होकर जनता के लिए काम करें न कि किसी पार्टी विशेष के लिए। सरकारी सूत्रों का कहना है, इन प्रशासनिक तबादलों में अफसरों की योग्यता का पूरा ध्यान रखा गया। जो अफसर जिस योग्य है, उन्हें उसी तरह जिम्मेदारी दी गई ताकि उनकी योग्यता का पूरा उपयोग किया जा सके। इस तरह मोदी की गारंटी को पूरा करने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने तबादले में दूरदर्शिता दिखाते हुए निर्णय लिया है।
गौरतलब है कि पिछली सरकार में कुछ अधिकारियों पर आरोप लगता रहा कि सत्ताधारी दल के कार्यकर्ता की तरह काम कर रहे थे उन्हें उन जगहों से हटाकर दूसरी जगह पोस्ट किया गया है । इसका साफ संदेश है कि अधिकारी निष्पक्ष होकर काम करें, ना कि किसी पार्टी विशेष के लिए।
तबादला लिस्ट में ये साफ है कि साय सरकार प्रशासनिक अधिकारियों का उनकी योग्यता के आधार पर ही उपयोग करेगी। जनता के कामों को छोड़कर सत्ताधारी दल के लिए काम करने वाले अधिकारियों को इस प्रशासनिक सर्जरी में कठोर सन्देश दिया गया है।
इसके अलावा पिछली सरकार में कई अधिकारी ऐसे भी रहे जो सत्ताधारी दल के नाजायज निर्देशों को हमेशा ही दरकिनार करते रहे और राजनीतिक रूप से प्रभावित हुए बिना निष्पक्ष अपना कार्य करते रहे। ऐसे अधिकारियों का वर्तमान सरकार ने ध्यान रखते हुए उन्हें ऐसी जगहों पर पोस्टिंग दी है जहां उनके अनुभव और योग्यता दोनों के साथ न्याय हो सके।
इस पूरे प्रशासनिक फेरबदल में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय स्वयं अपनी नजर बनाए हुए थे और उनके निर्देश पर एक-एक नामों पर गहनता से विचार किया गया, हर नाम के साथ उनकी कार्य विशेषता पर भी गहन विचार हुआ, कई बार फीडबैक लिए गए उनके आधार पर पुनः विचार किए गए। इसी वजह से सरकार ने पर्याप्त समय लेते हुए ट्रांसफर लिस्ट जारी की।
पिछली सरकार में अफसरों के ट्रांसफर में कई तरह के आरोप लगते रहे। इस बीच कई अफसरों के नाम कोल, मनी लॉन्ड्रिंग जैसे घोटालों से भी जुड़ते रहे, कुछ अफसर जेल की हवा भी खा रहे हैं। जबकि कुछ अफसरों पर पार्टी विशेष के कार्यकर्ता के समान कार्य करने का आरोप भी लगता रहा है। इस बीच नई सरकार आने के बाद जब पहली तबादले की लिस्ट आई तो यह बात स्पष्ट हो गई कि योग्यता और अनुभव को प्राथमिकता में रखकर तबादला का आदेश जारी किया गया।