इजरायल पर सात अक्टूबर को हमास आतंकी संगठन द्वारा किए गए हमले के बाद जो बाइडन वो पहले व्यक्ति थे जो इस यहूदी बहूल देश के समर्थन में सबसे पहले आगे आए थे. हालांकि ऐसा करने का खामियाजा भी अमेरिका को भुगतना पड़ रहा है. इसके बाद से ही इराक और सीरिया में अमेरिकी सैनिकों पर हमले भी हो रहे हैं. इरान की तरफ से इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अमेरिका ने जो बोया वही वो काट रहा है.
ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नासिर कनानी ने कहा, “इराक में अमेरिकी ठिकानों पर हमला, क्षेत्र में गलत अमेरिकी नीतियों का परिणाम है, हमें उम्मीद है कि इसे ठीक कर लिया जाएगा. यह हमले क्षेत्र में अमेरिकी उपस्थिति के खिलाफ और इजरायली शासन के अपराधों के लिए अमेरिकी समर्थन के गंभीर रूप से विरोधी समूहों द्वारा किए गए हैं. इरान के प्रवक्ता ने अमेरिका से इजरायल का समर्थन करना बंद करने का आग्रह करते हुए कहा कि आप जो बोते हैं वही काटते हैं.
ईरान का संलिप्तता से इनकार
इससे पहले, ईरान ने इजरायल पर हमास के हमलों को सफल बताया था लेकिन इसमें किसी भी तरह की संलिप्तता से इनकार किया था. ईरान सेना के चीफ ऑफ स्टाफ मोहम्मद बघेरी ने कहा कि हमास “इजरायल के जमीनी हमले के लिए तैयार है”. ईरानी यहूदियों सहित लगभग 200 प्रदर्शनकारी तेहरान के एक यहूदी उपासनागृह में एकत्र हुए और युद्धविराम की मांग की और “बच्चों, महिलाओं और असहाय लोगों के नरसंहार” की निंदा की.
अब तक 8,306 फिलिस्तीनियों की मौत
बता दें कि 7 अक्टूबर को हमास ने गाजा सीमा लांघकर इजरायल में प्रवेश किया था और वहां 1,400 लोगों को मौत के घाट उतार दिया. वो 239 लोगों को बंधक बनाकर अपने साथ गाजा ले गए. इजरायल की तरफ से जवाबी कार्रवाई में अब तक गाजा पट्टी में 8,306 फिलिस्तीनियों की मौत हो चुकी है.