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काला धन आखिर है क्या, आम आदमी को क्यों इससे फर्क पड़ना चाहिए, इसे रोकने का वाकई कोई तरीका है

काला धन के बारे में हम काफी सुनते हैं. लेकिन ब्लैक मनी या काला धन होता क्या है? नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनैंस ऐंड पॉलिसी (एनआईपीएफपी) ने इसे ऐसे धन के रूप में परिभाषित किया है जिस पर टैक्स की देनदारी तो बनती है लेकिन उसकी जानकारी इनकम टैक्स विभाग को नहीं दी जाती. ऐसा करके टैक्स बचाने का प्रयास किया जाता है.

देश में ब्लैक मनी कितनी है इसका अंदाजा लगाने का कोई पुख्ता तरीका नहीं है. हालांकि, कुछ तरीकों से ब्लैक मनी का अंदाजा जरूर लगाया जाता है. उदाहरण के लिए अगर किसी छोटी इकोनॉमी में कैश का सर्कुलेशन बहुत ज्यादा हो रहा है तो माना जाता है कि वहां कोई पैरलल यानी सामानांतर इकोनॉमी काम कर रही है. इसी तरह इनपुट आउटपुट रेश्यो का इस्तेमाल भी काले धन का पता लगाने के लिए किया जाता है. बहरहाल, इनमें से कोई भी तरीका सटीक ब्लैक मनी का आंकड़ा नहीं देता है

ब्लैक मनी का इस्तेमाल
ब्लैक मनी का इस्तेमाल मुख्यत: आपराधिक गतिविधियों में किया जाता है. इनमें किडनैपिंग, स्मगलिंग, पोचिंग, ड्रग्स, अवैध माइनिंग, जालसाजी और घोटाले. भ्रष्टाचार, पब्लिक ऑफिसर की रिश्वतखोरी और चोरी आदि शामिल हैं. इसका सीधा असर आम आदमी पर होता है. काला धन पैदा होने का मुख्य कारण होता है टैक्स न देने की इच्छा. अक्सर लोग अपनी आय में से कुछ भी सरकार को नहीं देना चाहते हैं. इसके लिए वह अपनी आय को अंडर रिपोर्ट करते हैं और टैक्स चोरी करते हैं.

भारत में कितना ब्लैक मनी
जैसा कि हमने बताया कि ब्लैक मनी के सही आंकड़े पता लगाने का कोई पुख्ता तरीका नहीं है. हालांकि, समय-समय पर अलग-अलग संस्थान इसके बारे में एस्टिमेट जारी करते रहते हैं. बैंक ऑफ इटली के अनुसार, दूसरे देशों में छुपे ब्लैक मनी में से 10 लाख करोड़ रुपये भारत का है. इसके अलावा सीबीआई के पूर्व निदेशक ने कहा था कि भारत में ब्लैक मनी करीब 500 अरब डॉलर है.